जाने आयुर्वेद के अनुसार कब क्या खाना है निषेध सेहत के हित के लिए
जयपुर । आयुर्वेद हमारे देश की इलाज़ की सबसे पड़ी पद्धति , भारत में ही नही आज आयुर्वेद का बोल बाला पूरे विश्व में है , आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज़ मुमकिन है और किसी भी बीमारी का इलाज़ पूरी तरह जड़ से खत्म करने की ताकत यह पद्धति रखती है इतना ही नही आयुर्वेद की एक खासियत यह भी है की इसका इलाज़ हमारे घर के आँगन में उपलब्ध कई चीजों के द्वारा किया जा सकता है ।
आज हर मौसम में सभी तरह की चीज़ें उपलब्ध है और इस वजह से हम हर मौसम में सभी चीजों का सेवन आसानी से कर लेते हैं पर हर मौसम में हर चीज़ का सेवाना करना बिलकुल भी अच्छा नही होता यह बात हम आयुर्वेद के जरिये जन सकते हैं पहले के समय में सब्जियाँ और फलों को खाने का समय निश्चित था वह हमेशा उपलब्ध नहीं होती थी इस वजह से लोग ज्यादा स्वस्थ रहते थे आइये जानते हैं की किन चीजों का सेवन कब नही करना चाहिए ।
दरअसल हर मौसम की अपनी खासियत होती है और उस हिसाब से उस मौसम का खानपान होता है और इसकी वजह होती थी उस मौसम की तासीर और हवा जैसे सर्दी में यदि बसी खान भी खा लिया जाये तो वह नुकसान नही करता पर यदि गर्मी में सेवन किया जाये तो वह उसको बीमार कर सकता है । इन्हीं कराओन से कब कौनसी चीज़ का सेवन निषेध है आइये जानते हैं इस विशेष खबर के बारे में ।
चैत्र माह में गुड़ नहीं खाना चाहिए।
वैशाख मास में नया तेल लगाना मना है।
जेठ माह में दोपहर में बाहर नहीं जाना चाहिए ।
आषाढ़ मास में पका बेल नहीं खाना चाहिए।
सावन मास में साग का सेवन नहीं करना चाहिए ।
भादो मास में दही नहीं खाना चाहिए ।
क्वार मास में करेला का सेवन नहीं करना चाहिए।
कार्तिक मास में बैंगन और जीरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
माघ मास में मूली और धनिया नहीं खानी चाहिए और फागुन मास में चना नहीं खाना चाहिए ।
10 मिनिट के बाद राखी हुई चाय का सेवन नही करना चाहिए इससे पेट की बीमारी होती है और मोटापा बढ़ता है । चावल का सेवन ताज़ा बना हुआ ही करना चाहिए यह ज्यादा देर रखने पर या फिर पुराना या बासी होने पर खराब हो जाता है ।