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जानिए कैसे एक मछली कर लेती है इंसानी चेहरों की पहचान!

किसी इंसान के चेहरे की पहचान करने के लिए मछली को प्रशिक्षित किया जा सकता है, हाल ही में हुए एक शोध के बाद शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की। मछली में मस्तिष्क में इंसानों की तरह कोई दिमागी संरचना नहीं होती है, जिसे हमारी भाषा में न्यूकॉर्टेक्स कहते हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड
जानिए कैसे एक मछली कर लेती है इंसानी चेहरों की पहचान!

किसी इंसान के चेहरे की पहचान करने के लिए मछली को प्रशिक्षित किया जा सकता है, हाल ही में हुए एक शोध के बाद शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की। मछली में मस्तिष्क में इंसानों की तरह कोई दिमागी संरचना नहीं होती है, जिसे हमारी भाषा में न्यूकॉर्टेक्स कहते हैं।

लेकिन ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इंसान के चेहरे को पहचानने के लिए एक मछली को प्रशिक्षित किया। टीम ने अपने प्रयोग के दौरान एक कंप्यूटर स्क्रीन पर अलग-अलग मनुष्यों के चेहरों को दिखाते हुए प्रयोग किया। मछली के जवाब 89 प्रतिशत तक सटीक थे। जानिए कैसे एक मछली कर लेती है इंसानी चेहरों की पहचान!

वैज्ञानिकों की एक टीम ने बताया कि मछली को मानवीय चेहरे में बड़ी संख्या में भेदभाव करना सीखा सकते हैं। यहां तक कि रंग, सिर-आकार में बदवाल भी कर सकते हैं। यह भी पढ़ें इस महिला के दिमाग से निकला जिंदा कोकरोच…देखकर डॉक्टर हुए हैरान

उन्होंने आर्चरफ़िश का इस्तेमाल किया, जो पानी की धाराओं में कीड़ों को ढ़ूंढ़ कर खाने में माहिर होती है। इन प्रजाति की मछलियों की दृष्टि इनके जीवन में अहम योगदान रखती है। तथा इनकी प्रभावशाली औऱ दृश्य संज्ञानात्मक क्षमताओं को दर्शाता है।

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इसलिए उन्होंने मछली को प्रशिक्षित किया, तथा पाया कि कुछ गैर-प्राच्य स्तनधारी भी मानव चेहरों में भेद कर सकते हैं। जिन प्रजातियों का परीक्षण किया गया उनमें भेड़, कुत्ते, गायें और घोड़े भी शामिल थे।

साथ ही साथ ये भी पता लगा पाने में सफलता हासिल की कि कुछ जानवरों में न्यूकॉर्टेक्स कम विकसित हुआ है अर्थात् मधुमक्खियां और पक्षी, भी कुछ हद तक मानवीय चेहरों में भेदभाव करने के लिए सक्षम हैं।

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