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पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर एक व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक परेशानियों से बल्कि डिप्रेशन जैसी समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। इस सिंड्रोम का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है, हालांकि अब तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज नहीं ढूंढा जा सका है, ऐसे में पीड़ित मरीज को जिंदगीभर दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ेगा ।
पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत

जयपुर । पशुओं से प्यार करना बहुत ही अच्छी बात है । जानवरों से लगाव कई लोगों को होता है , कई कई लोग तो इनसे इतना ज्यादा प्यार करते हैं कि पूरे घर को पेट हाउस बना कर रखते हैं । जानवर भी प्यार के भूखे होते हैं हम मानते हैं पर उनका प्यार कई हमरी जान पर भारी पड़ जाता है ।पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत

जानवरों को पालना अच्छी बात है देखा जाये तो इन्सानों से ज्यादा वह वफादार निकलते हैं । पर उनको घर में पालना हमारे लिए परेशानी भी बन सकता है । आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे जानवरों को पालने का शौक आप पर भरी पड़ सकता है इस बारे में ।पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत

स्टडी के मुताबिक, पेट को होने वाली डैंड्रफ व उसके मल के कारण यह खतरा बढ़ता है। उसकी स्किन व मल में ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो न सिर्फ छूने के कारण बल्कि सांस के जरिए व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये बैक्टीरिया पाचनक्रिया को प्रभावित करता है और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत

हालांकि स्टडी में फिलहाल यह सामने नहीं आ सका है कि किस प्रकार का पेट इस लिस्ट में ओनर के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। वहीं रिसर्चर्स न यह भी साफ किया कि इस स्टडी में सामने आई बातों को निर्णायक नहीं कहा जा सकता, बल्कि इस विषय पर और ज्यादा चर्चा व स्टडी की जरूरत है।
पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर एक व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक परेशानियों से बल्कि डिप्रेशन जैसी समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। इस सिंड्रोम का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है, हालांकि अब तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज नहीं ढूंढा जा सका है, ऐसे में पीड़ित मरीज को जिंदगीभर दवाइयों पर निर्भर रहना  पड़ेगा ।

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर एक व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक परेशानियों से बल्कि डिप्रेशन जैसी समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। इस सिंड्रोम का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है, हालांकि अब तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज नहीं ढूंढा जा सका है, ऐसे में पीड़ित मरीज को जिंदगीभर दवाइयों पर निर्भर रहना  पड़ेगा । पशुओं से फेला यह सिंड्रोम बन सकता है आपकी जान की आफत

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