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वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा डिवाइस, जो दिखाता है समुद्र की गहराई में क्या-क्या है छिपा

Benthic Underwater Microsope (BUM), ये एक ऐसा तकनीकी गोताखोर है जो पानी के नीचे माइक्रोस्कोपिक और कंप्यूटर इंटरफ़ेस के जरिए ये बता सकता है कि नीचे गहराईयों में पाए जाने वाले छोटे-छोटे जीव-जंतु इस प्रकृति में कैसे व्यवहार करते हैं। यह डिवाइस 10 माइक्रोमीटर से भी कम साइज के सूक्ष्मजीवों को देखने में सक्षम है।
वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा डिवाइस, जो दिखाता है समुद्र की गहराई में क्या-क्या है छिपा

Benthic Underwater Microsope (BUM), ये एक ऐसा तकनीकी गोताखोर है जो पानी के नीचे माइक्रोस्कोपिक और कंप्यूटर इंटरफ़ेस के जरिए ये बता सकता है कि नीचे गहराईयों में पाए जाने वाले छोटे-छोटे जीव-जंतु इस प्रकृति में कैसे व्यवहार करते हैं। यह डिवाइस 10 माइक्रोमीटर से भी कम साइज के सूक्ष्मजीवों को देखने में सक्षम है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछली माइक्रोस्कोपिक तकनीक की तुलना में ये दो से पांच गुना अधिक शक्तिशाली हैं।

सूक्ष्मजीवों के व्यवहार को दिखाने के साथ-साथ यह डिवाइस ये भी बता सकता कि जीव आपस में अन्य जीवों के साथ, कैसे खेलते हैं और किस तरह से रहते हैं। Scripps Institution of Oceanography’s Jaffe Laboratory, कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने इस डिवाइस को बनाया है। इसको बनाने के पीछे उनका उद्देश्य ये था किस तरह से पानी के नीचे पाए जाने वाले ये जीव खाने, शिकार और किस तरह से पानी के नीचे वातावरण से तालमेल बिठाते हैं।

जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन में ये पाया गया कि coral polyps, coral reefs ये पानी के नीचे  पाए जाने वाले सॉफ्ट बॉडी वाले जानवर होते हैं जिनके छोटे मुंह पाए जाते हैं। बीएम तकनीक का प्रयोग करके, वैज्ञानिकों को सबसे हैरान कर देने वाला सीन ये देखने को मिला कि कैसे कोरल रीफ आपस में एक-दूसरे को पानी के नीचे किस करते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वे पोषक तत्वों का आदान-प्रदान कर सकें।

बीएम से ये भी देखा गया कि जब कोरल अन्य प्रजातियों के करीब निकटता दिखाता है तो कोरल पॉलीप्स अन्य प्रजातियों पर हमला करने के लिए तमाम करतब दिखाते हैं। शायद ये आपस में किसी प्रोसेस के जरिए किसी प्रकार की रासायनिक क्रिया करने के लिए ऐसा करते होंगे। वैज्ञानिकों ने आगे बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण इन जीव-जंतुओं में कई तरह के बदलाव देखे गए हैं। साथ ही अब इस तकनीक के जरिए हम समुद्री ईकोसिस्टम को और अच्छे से समझ सकने में कामयाबी हासिल कर लेंगे।

 

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