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प्रकृति में 90 फ़ीसदी पक्षीयों की कमी ने बिगाड़ प्रकृति का संतुलन

जयपुर। जलवायु परीवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण कई जीव धरती से अपना जीवन छोड़ दिया है। इसी के कारण से कई प्रजातियां प्रकृति से विलुप्त हो रही है। विलप्त होती प्रजाति से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। इससे धरती नष्ट होने पर आ गई है। इसी का एक रूप दिखने के लिए आपको
प्रकृति में 90 फ़ीसदी पक्षीयों की कमी ने बिगाड़ प्रकृति का संतुलन

जयपुर। जलवायु परीवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण कई जीव धरती से अपना जीवन छोड़ दिया है। इसी के कारण से कई प्रजातियां प्रकृति से विलुप्त हो रही है। विलप्त होती प्रजाति से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। इससे धरती नष्ट होने पर आ गई है। इसी का एक रूप दिखने के लिए आपको बताते हैं की पिछले 30 सालों में यूरोप में पक्षियों की संख्या तेजी से घटी है और इसका कारण है जलवायु परिवर्तन। जानकारी के लिए बता दे कि यूरोप में पिछले तीन दशकों में लगभग 42 करोड़ पक्षियों कि संख्या में कमी आ है।

प्रकृति में 90 फ़ीसदी पक्षीयों की कमी ने बिगाड़ प्रकृति का संतुलन

इस संख्या को देखकर आप अंदाजा लगा सकते है की प्रकृति का इतनी संतुनल बिगड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन का अहम कारण है बढ़ता औद्दोगीकरण और गैसों की बढ़ती हुई मात्रा है। आधुनिक तौर तरीकों ने क़रीब 90 फ़ीसदी कमी आई है।आज जिन तरीक़ों से पर्यावरण का संरक्षण हम कर रहे हैं ये तरीका पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए नुक़सानदेह हो सकता हैं इन तरीकों से पक्षियों की संख्या बढ़ने के बजाय घट जायेगी। शोधकर्ताओं का कहना हैप्रकृति में 90 फ़ीसदी पक्षीयों की कमी ने बिगाड़ प्रकृति का संतुलन

की हमारे शोध से ज्ञात किया गया है की पक्षियों के आवास के लिए किस तरह से काम किया जाये और उनकी संख्या में वृद्धि कि जाये। साथ ही ये भी मालुम किया जाये की कितनी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है जिससे उनको सुरक्षित किया जा सकें। इसके साथ ही उनका लुप्त होने का कारण का भी पता लगाया जाये है। कुछ ऐसी तरीब खोजी जाये जिससे इसको बचाया भी जा सके और प्रकृति को भी तक संवारा जा सकता है।प्रकृति में 90 फ़ीसदी पक्षीयों की कमी ने बिगाड़ प्रकृति का संतुलन

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