भारत में Electric Vehicle में बढ़त हेतु बैटरी निर्माताओं को $ 4.6 बिलियन का प्रोत्साहन ?
भारत ने इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में बढ़त लाने हेतु बैटरी निर्माण सुविधाओं की स्थापना करने हेतु कंपनियों को $ 4.6 बिलियन की पेशकश की गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने और साथ ही साथ तेल की निर्भरता में कमी देखी गई है। NITI Aayog के प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत में 2030 तक तेल आयात बिलों को $ 40 बिलियन से अधिक होंने की उम्मीद है । जिस कारण से इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक रूप से अपनाना महत्वपूर्ण हो गया है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के द्वारा यह कहा गया है कि जल्द ही इसके प्रस्ताव पर विचार किया जाने वाला है। आने वाले हफ्तों में इसके मामलों में और अधिक पहचान को करने से इनकार कर दिया गया है। थिंक टैंक ने बैटरी बनाने वाली कंपनियों के लिए 2030 तक $ 4.6 बिलियन के प्रोत्साहन राशि की सिफारिश को पूरा किया है, जो की अगले वित्तीय वर्ष में 9 बिलियन रुपये या $ 122 मिलियन के नकद और बुनियादी ढांचे के प्रोत्साहन के लिए अहम हिस्सा है।
जैसा की हम जानते ही है वर्तमान समय में बैटरी ऊर्जा भंडारण उद्योग भारत में एक नवजात अवस्था में है, जिसमें दस्तावेज में यह कहा गया है कि भारत 2022 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी सहित अन्य और भी प्रकार की बैटरियों के लिए 5% की अपनी आयात की दर को बरकरार रखने की योजना को बना रहा है, जिसे की बाद में इसे बढ़ाकर 15% तक कर दिया जाएगा।
तेल निर्भरता को कम करने और प्रदूषण में कटौती को करने के लिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के प्रयासों के रूप में चार्जिंग स्टेशनों के विनिर्माण और बुनियादी ढांचे में निवेश की आवश्यकता बनी हुई है । आंकड़ों के अनुसार 1.7 मिलियन पारंपरिक यात्री कारों की बिक्री की तुलना में पिछले कारोबारी साल के दौरान दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में सिर्फ 3,400 इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री को देखा गया है। आगे आने वाले वर्षों में सड़कों पर कितने इलेक्ट्रिक परिवहन के साधन होंगे यह देखना है।