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तेल व गैस क्षेत्र में होगा 206 अरब डॉलर निवेश

सरकार के अनुमान के मुताबिक भारत के तेल व गैस क्षेत्र में अगले 8 से 10 साल में 206 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है। सोमवार को सीईआरए वीक के इंडिया एनर्जी फोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस क्षेत्र के शीर्ष वैश्विक दिग्गजों को संबोधित करेंगे, जिसमें वह कंपनियों से आत्मनिर्भर भारत को आगे
तेल व गैस क्षेत्र में होगा 206 अरब डॉलर निवेश

सरकार के अनुमान के मुताबिक भारत के तेल व गैस क्षेत्र में अगले 8 से 10 साल में 206 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है। सोमवार को सीईआरए वीक के इंडिया एनर्जी फोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस क्षेत्र के शीर्ष वैश्विक दिग्गजों को संबोधित करेंगे, जिसमें वह कंपनियों से आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने पर जोर दे सकते है। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत में महामारी के कारण आई तेल की खपत में कमी से उबर रहा है।

तीन दिवसीय फोरम में डैन ब्रूयेट (अमेरिका के ऊर्जा सचिव), प्रिंस अब्दुल अजीज (सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री) और सुल्तान अहमद अल जबेर (अबूधाबी नैशनल ऑयल कंपनी के सीईओ) के हिस्सा लेने की संभावना है।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ऐसी वैश्विक बैठक का महत्त्व उस समय अहम हो जाता है, जब आप यह देखते हैं कि देश में इस दशक में इतना बड़ा निवेश होने की संभावना है। इसमें एलएलजी क्षमता बढ़ाने, पाइपलाइन और सीजीडी नेटवर्क सहित गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर में 67 अरब डॉलर का निवेश शामिल है। वैश्विक दिग्गज जैसे टोटाल, एक्सॉन मोबिल और शेल ने इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई है।’ उन्होंने संकेत दिए कि अगर रिलायंस-बीपी, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को मिलाकर देखें तो अन्वेषण व उत्पादन में करीब 59 अरब डॉलर निवेश की संभावना है। वहीं दूसरी तरफ डाउनस्ट्रीम क्षेत्र, जिसमें विपणन, रिफाइनरी के विस्तार और विजग, बाड़मेर, पारादीप और रत्नागिरि जैसी नई रिफाइनरियों में और 80 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है।

इस वर्चुअल कार्यक्रम में उद्योग जगत के बड़े दिग्गजों जैसे इगोर सेचिन (रोसनेट, रूस के चेयरमैन), बर्नार्ड लूने (बीपी पीएलसी, यूके के सीईओ), पैट्रिक पुयन (टोटाल एसए, फ्रांस के चेयरमैन और सीईओ), ओलिवियर ली पुएश (श्लुमबर्जे, यूएसए के सीईओ), मुकेश अंबानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी) और मोहम्मद सौंसी बारकिंडो (ओपीईसी के महासचिव) के हिस्सा देने की संभावना है।

यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब ईंधन की मांग बढ़ रही है, जो कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए की गई बंदी की वजह से घटी थी। अक्टूबर 2020 के पहले पखवाड़े में 1 से 15 अक्टूबर 2019 की तुलना में पेट्रोल की मांग 1.5 प्रतिशत, डीजल की मांग 8.79 प्रतिशत और एलपीजी की मांग 6.79 प्रतिशत बढ़ी है।  एटीएफ की मांग पिछले साल की तुलना में 57 प्रतिशत कम है, इसका मतलब यह है कि इसमें 43 प्रतिशत रिकवरी हुई है। अनुमानों के मुताबिक विश्व की कुल प्राथमिक ऊर्जा की मांग 2040 तक सालाना एक प्रतिशत से कम बढ़ेगी और इस वृद्धि को मुख्य रूप से भारत व एशिया के अन्य देशों से समर्थन मिलेगा।  इसके अलावा भारत में ऊर्जा की मांग 2040 तक सालाना 3 प्रतिशत बढ़ेगी।

भारत ने हाल के वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान बढ़ाया है। अधिकारी ने कहा, ‘बिजली की कुल खपत में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी अब बढ़कर 22 प्रतिशत हो गई है, जो 2014-15 में करीब 10 प्रतिशत थी। एथेनॉल मिलाने का प्रतिशत 2012-13 में 0.67 था, जो अब बढ़कर करीब 6 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा हमने उज्जवला जैसी योजनाएं शुरू की है, जिससे आम लोगों को स्वच्छ ईंधन मिल रहा है। बीएस-6 ईंधन पेश किया गया है और हाइड्रोजन-सीएनजी भी ईंधन बास्केट का हिस्सा बन गया है।’

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