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मप्र उपचुनाव में उतरे 18 फीसदी उम्मीदवारों पर हैं आपराधिक मामले : ADR

मध्यप्रदेश के 28 विधानसभा क्षेत्रों में 3 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले 18 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इतना ही नहीं, इनमें से 11 फीसदी पर तो बहुत गंभीर मामलों के आरोप हैं। यह खुलासा मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच एंड एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने
मप्र उपचुनाव में उतरे 18 फीसदी उम्मीदवारों पर हैं आपराधिक मामले : ADR

मध्यप्रदेश के 28 विधानसभा क्षेत्रों में 3 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले 18 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इतना ही नहीं, इनमें से 11 फीसदी पर तो बहुत गंभीर मामलों के आरोप हैं। यह खुलासा मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच एंड एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने किया है। उपचुनावों के लिए दाखिल किए गए 355 उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण से पता चला है कि 63 उम्मीदवारों ने लंबित आपराधिक मामलों की घोषणा की है, इसमें कांग्रेस के उम्मीदवार सबसे ज्यादा हैं। वहीं गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की बात करें तो सपा के बाद दूसरा नंबर भाजपा का है।

प्रमुख दलों की बात करें तो कांग्रेस के 28 उम्मीदवारों में से 14 (50 फीसदी), भाजपा के 28 में से 12 (43 फीसदी), बहुजन समाज पार्टी के 28 में से 8 (29 फीसदी), समाजवादी के 14 में से 4 (29 फीसदी), 178 अन्य पार्टी के उम्मीदवारों और निर्दलीय उम्मीदवारों में से 16 (9 फीसदी) पर आपराधिक मामले लंबित हैं।

एडीआर ने कहा, वहीं हलफनामों में गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा करने वालों में कांग्रेस के 28 उम्मीदवारों में से 6 (21 फीसदी), भाजपा के 28 उम्मीदवारों में से 8 (29 फीसदी), बसपा के 28 उम्मीदवारों में से 3 (11फीसदी ), सपा के 14 में से 4 (29 फीसदी, 178 अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों में से 13 (7 फीसदी) उम्मीदवार हैं।

केवल एक उम्मीदवार ने अपने खिलाफ हत्या का लंबित मामला घोषित किया है और बाकी 7 ने खुद के खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले लंबित बताए।

28 निर्वाचन क्षेत्रों में से 10 क्षेत्र तो ऐसे हैं, जो ‘रेड अलर्ट’ श्रेणी में हैं। इसका मतलब है कि यहां 3 या 3 से अधिक उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। यानी सभी प्रमुख दलों ने लंबित आपराधिक मामलों वाले 25 फीसदी से 50 फीसदी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

एडीआर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 13 फरवरी को राजनीतिक दलों को आदेश दिया था कि वे ऐसे आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के चयन के पीछे कारण बताएं। इन अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे चयन के पीछे कारण उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता से संबंधित होना चाहिए।

एडीआर ने आग्रह किया है कि सर्वोच्च न्यायालय को राजनीतिक दलों और राजनेताओं को उनकी इच्छाशक्ति की कमी, अनिवार्य कानूनों का पालन न करने के लिए फटकार लगाना चाहिए।

एडीआर ने हत्या, दुष्कर्म, तस्करी, डकैती और अपहरण जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी उम्मीदवारों को स्थायी तौर पर अयोग्य घोषित करने की वकालत की। साथ ही अन्य आरोपों के आधार पर भी 5 साल, 6 महीने जैसी अवधियों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की बात कही है।

वहीं शिक्षा को लेकर बात करें तो 55 फीसदी उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता कक्षा 5वीं से 12 वीं के बीच बताई है, 37 फीसदी ने स्नातक या उससे ऊपर बताई है, वहीं बचे हुए उम्मीदवार या तो मुश्किल से साक्षर हैं या अनपढ़ हैं।

उम्र के मामले में 45 फीसदी उम्मीदवार 25 से 40 साल के बीच के हैं, 45 फीसदी और 41 से 60 साल के बीच के हैं। 10 फीसदी उम्मीदवार 61 से 80 साल के बीच के हैं। कुल उम्मीदवारों में से 6 प्रतिशत महिलाएं हैं।

न्युज स्त्रोत आईएएनएस

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