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सामाजिक खर्च जैसा है वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं पर मिला ब्याज

छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का कहना है कि दर बाजार के हिसाब से होनी चाहिए। ऐसा कहने वालों पर इन योजनाओं से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। असल में वरिष्ठ नागरिकों को बाजार आधारित दरों से छूट मिलनी चाहिए। इस वर्ग के पास कमाई का अन्य
सामाजिक खर्च जैसा है वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं पर मिला ब्याज

छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का कहना है कि दर बाजार के हिसाब से होनी चाहिए। ऐसा कहने वालों पर इन योजनाओं से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। असल में वरिष्ठ नागरिकों को बाजार आधारित दरों से छूट मिलनी चाहिए। इस वर्ग के पास कमाई का अन्य साधन नहीं होता। इन्हें मिलने वाले रिटर्न को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की तरह सामाजिक खर्च मानना चाहिए।

31 मार्च को वित्त मंत्रालय ने विभिन्न स्माल सेविंग स्कीम के लिए तिमाही ब्याज दरें घोषित कीं। कुछ घंटों बाद ही नई दरें वापस ले ली गई और पुरानी दरें बहाल कर दी गई। घोषित की गई दरों में पहले की तुलना में काफी ज्यादा कटौती की गई थी।उदाहरण के लिए सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम (एससीएसएस) में ब्याज दर 7.5 फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी कर दी गई थी।

पीपीएफ में ब्याज दर 7.1 फीसद से घटाकर 6.5 फीसद कर दी गई थी। इनकम में कमी के लिहाज से देखें तो एससीएसएस के लिए यह 14.7 फीसद और पीपीएफ के लिए यह 10 फीसद था।कुछ लोगों का कहना है कि दरों में कटौती का फैसला विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। वहीं प्रोफेशनल्स का कहना है कि ब्याज दरों को बाजार से जोड़ना और गिल्ट रेट के हिसाब से तय करना एक सामान्य बात है

और ऐसा करना सही है।मैं पहले भी कह चुका हूं कि हमें इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि स्माल सेविंग है क्या और किस स्कीम का इस्तेमाल किस लिए किया जाना चाहिए। अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें कम हो रहीं है। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती उन स्कीमों के लिए सही कही जा सकती है, जिनका इस्तेमाल रकम जमा करने के लिए किया जा रहा है। लेकिन सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम के लिए छूट जरूर मिलनी चाहिए।

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