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लॉकडाउन का डर तो कोई मतदान के लिए लौटा घर

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रवासी श्रमिकों की एकबार फिर वापसी होने लगी है। महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में बिगड़ते हालात के बीच यूपी में पंचायत चुनाव भी प्रवासियों को अपने गांव की ओर खींच ला रही है। प्रवासियों के गांव लौटने के अपने-अपने कारण हैं। कोई लॉकडाउन के डर से घर लौटा तो
लॉकडाउन का डर तो कोई मतदान के लिए लौटा घर

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रवासी श्रमिकों की एकबार फिर वापसी होने लगी है। महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में बिगड़ते हालात के बीच यूपी में पंचायत चुनाव भी प्रवासियों को अपने गांव की ओर खींच ला रही है। प्रवासियों के गांव लौटने के अपने-अपने कारण हैं। कोई लॉकडाउन के डर से घर लौटा तो किसी को गांव की सरकार बनाने की दिलचस्पी खींच लाई। मुंबई में अपना कारोबार करने वाले रुदौली क्षेत्र के कसारी निवासी असलम तीन दिन पहले ही गांव लौटे हैं। असलम कहते हैं कि गांव में पंचायत चुनाव है। लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए गांव आना पड़ा। कोरोना का प्रकोप तो हर जगह है। मुंबई में ही कपड़े का कारोबार करने वाले गोसाईंगंज के अमसिन निवासी इरफान के अपने घर लौटने का कारण दोबारा लॉकडाउन लगने का डर है। पिछली बार लॉकडाउन में वह मुंबई में फंस गए थे। अमसिन के ही रहने वाले अतुल कुमार शर्मा का मुंबई में सैलून है। वह कहते हैं कि पंचायत चुनाव को लेकर वह वापस आए हैं। चुनाव बाद मुंबई में कोरोना नियंत्रित होने पर ही वापस जाएंगे। अमसिन के रहने वाले रफीक कहते हैं यहीं के रहने वाले उनके कई रिश्तेदारों ने भी मुंबई से आने के लिए अपना रेल टिकट आरक्षित करा लिया है। खंडासा थाना क्षेत्र के गदुरही बाजार निवासी विनोद कुमार हरियाणा के पानीपत स्थित रिफाइनरी में काम करते हैं। लॉकडाउन की आशंका में वह वापस लौटे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के हालत लगातार खराब हो रहे हैं।मया ब्लॉक के रजपलिया गांव निवासी प्रदीप पांडेय प्रधानी चुनाव लड़ रहे अपने भाई के लिए तो प्रदीप पांडेय दिल्ली से अपने चचेरे भाई के चुनाव प्रचार के वास्ते गांव लौटे हैं। इसी गांव के रहने वाले शिवपाल निषाद राजस्थान से गांव सिर्फ इसलिए वापस लौटे हैं, ताकि अपने चहेते उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकें।

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