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रेवाड़ी :Haryana Politics: गांव की चौपालों पर चर्चा में जननायक जनता पार्टी वालों की चौधर

समय राजनीतिक दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। अहीरवाल में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की दोस्ती ही देख लें। चौपालों पर जननायक जनता पार्टी की चौधर की चर्चा भाजपा से कम नहीं है। अहीरवाल में बेशक जजपा का खाता नहीं खुला था, मगर दुष्यंत को सत्ता में ताकतवर भागीदारी मिली तो
रेवाड़ी :Haryana Politics: गांव की चौपालों पर चर्चा में जननायक जनता पार्टी वालों की चौधर

समय राजनीतिक दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। अहीरवाल में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की दोस्ती ही देख लें। चौपालों पर जननायक जनता पार्टी की चौधर की चर्चा भाजपा से कम नहीं है। अहीरवाल में बेशक जजपा का खाता नहीं खुला था, मगर दुष्यंत को सत्ता में ताकतवर भागीदारी मिली तो जजपाई ताकतवर बन गए। बावल से चुनाव लड़े श्यामसुंदर सभरवाल हों या अटेली से लड़े पूर्व विधायक अनीता के लाल। दोनों कमाल दिखा रहे हैं। श्यामसुंदर को जजपा जिला प्रधान की कमान मिली तो उन्होंने सत्ता के ताले को चाबी लगाने में देर नहीं की। कोविड संक्रमण का दौर आया तो श्याम की पूरी टीम भाजपा जिला प्रधान हुकमचंद की टीम से टक्कर ले रही है। श्यामसुंदर आक्सीजन की आपूर्ति सहित हर सरकारी व्यवस्था पर पैनी नजर रखे हैं। भाजपाइयों की मजबूरी यह कि उन्हें न चाहते हुए भी जजपा प्रधान की पैनी नजर में प्यार के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा।कोरोना संकट के दौर में जब संक्रमित लोग आक्सीजन बैड के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, तब नांगल चौधरी के विधायक डॉ. अभयसिंह यादव ने सराहनीय पहल की है। उनके प्रयास से क्षेत्र में शुरू किया गया संवेदना अस्पताल सुर्खियां बटोर रहा है। क्षेत्र के लोग कहने लगे हैं कि अगर विधायक संवेदनशील होकर संवेदना से काम करेंगे तो नाम चमकेगा। नारनौल में स्थापित इस अस्पताल में 35 बिस्तर हैं। आक्सीजन कंसट्रेटर व बाइपैप सहित कई उपकरणों की व्यवस्था है। संकट के समय स्थापित किया गया यह अस्पताल चेरीटेबल है। सेवा की भावना से शुरू किए इस अस्पताल में कई निजी अस्पतालों की तरह मेवा नहीं बटोरी जाएगी। लोगों का कहना है कि सेवा की आड़ में मेवा कमाने वालों का कभी भला नहीं हाेता और मेवा छोड़कर सेवा करने वालों को कभी निराशा नहीं मिलती। विधायक जी लोगों की बात गांठ बांध लेना।कहते हैं समय सदा एक जैसा नहीं रहता। पहिया घूमता रहता है। एक समय था जब हरियाणा भाजपा में लंबे कद के भाजपाई वीर कुमार यादव की फूंक से घास जलती थी, मगर इन दिनों उनके सितारे कुछ गर्दिश में हैं। न ओपी धनखड़ की प्रदेश पदाधिकारियों की सूची में नाम आया न मोर्चा व जिला प्रभारियों की सूची में ही वीर बाबू दिखाई पड़े। खबरची की मानें तो अभी उम्मीदों की डोर कमजोर नहीं है। हो सकता है इंतजार का फल मीठा हो। याद है न आपकी तरह ही सेक्टर तीन वाले डाक्टर साहब भी मनोहर की पहली पारी में बट्टे खाते नजर आते थे, जबकि अब सत्ता के साथ-साथ संगठन में भी उनके पांव फैल चुके हैं। वैसे हम कोई ऐसे बाबा तो हैं नहीं जो समोसा या हरी चटनी से कृपा रुकने की बात कहकर किसी को बरगलाएं। हमारी तो खरी-खरी बात है।
जमाना वर्चुअल का है, मगर रेवाड़ी के डीसी यशेंद्र सिंह की फेस-टू-फेस मीटिंग का जलवा पहले की तरह कायम है। सभागार की भीड़ कुछ अधिकारियों को डराती है, मगर डीसी से खुलकर कहे कौन? अधिकारियों के तर्क लाजवाब हैं। उनका कहना है कि जैसे लगातार बंद सभागार में बैठकें हो रही है, वह कोविड के दौर में सही नहीं है। इससे कोरोना वायरस अपना खेल कर सकता है। एक बड़े अधिकारी ने यह तर्क भी दिया कि अगर बैठक लेनी भी हो तो फिर खुली जगह चुननी चाहिए और अधिकारियों को दस-दस फुट दूर बैठाना चाहिए। एक अधिकारी ने दूसरे से खुसर-फुसर करते हुए कहा कि डीसी साहब अगर आपकी टीम बीमार पड़ गई तो उस सिस्टम को ब्रेक लग जाएंगे, जिसे एक सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद आ पटरी पर लाने में कुछ हद तक कामयाब हुए हो। पता नहीं मन में बुदबुदाई यह बात डीसी ने सुनी या नहीं।

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