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रेवाड़ी :ग्रामीण बरत रहे सावधानी तो सुधरने लगे हालात

समझा रहे थे तब नहीं समझे, अब खुद ही समझने लगे हैं। जी हां, ग्रामीण अंचल में साथ बैठकर हुक्का गुड़गुड़ाने व ताश खेलने की आदतों में अब बदलाव नजर आ रहा है। गांवों में अब लोग हुक्का पीने और झुंड बनाकर ताश खेलने से परहेज करने लगे हैं। कोरोना से बचना है तो अपने
रेवाड़ी :ग्रामीण बरत रहे सावधानी तो सुधरने लगे हालात

समझा रहे थे तब नहीं समझे, अब खुद ही समझने लगे हैं। जी हां, ग्रामीण अंचल में साथ बैठकर हुक्का गुड़गुड़ाने व ताश खेलने की आदतों में अब बदलाव नजर आ रहा है। गांवों में अब लोग हुक्का पीने और झुंड बनाकर ताश खेलने से परहेज करने लगे हैं। कोरोना से बचना है तो अपने घर में ही रहना उचित है, यह बात भी उनकी समझ में आ रही है। ग्रामीणों के व्यवहार में सुधार हुआ है तो गांवों में कोविड संक्रमण का प्रकोप भी थोड़ा थमा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदत हमें कुछ दिन या कुछ महीनों के लिए ही नहीं रखनी है बल्कि इसे व्यवहार में शामिल करना होगा तभी इस बीमारी की चेन को तोड़ पाना संभव होगा। खुद की जागरूकता से ही बनी बात कोविड संक्रमण के कारण जिले के 50 से अधिक गांवों में हालात काफी गंभीर बन गए थे। इन गांवों से महज दस-पंद्रह दिनों में ही सैकड़ों की तादाद में अधेड़ उम्र के लोग विदा हो गए। महज तीन से चार दिन बुखार और खांसी तथा इसके बाद निधन। ग्रामीण पहले इसे सामान्य मानते रहे लेकिन जब मृत्यु दर बढ़ी और एक-एक गांव में चार से पांच लोग हर दिन मरने लगे तो उन्हें भी समझ आने लगा कि कोविड संक्रमण गांवों में पैर पसार चुका है। हालांकि, तब तक गांवों में लोग बदस्तूर एक साथ बैठकर हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे और ताश भी खेल रहे थे। कोविड का प्रकोप बढ़ा तो अब ग्रामीणों ने अपनी इन आदतों में सुधार किया है तथा पंचायतों ने भी मोर्चा संभाला है।

निश्चित तौर पर साथ बैठकर हुक्का पीना व ताश आदि खेलना कोविड संक्रमण के इस दौर में खासा खतरनाक हो सकता है। हम लगातार ग्रामीणों से यही आग्रह कर रहे हैं कि हुक्का व ताश की अपनी इस आदत को छोड़ें तथा घर में ही रहें। जरा भी कोरोना के लक्षण नजर आएं तो जांच कराएं व उपचार शुरू करें।

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