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भीलवाड़ा:कोराेना हुआ तब 510 शुगर, 200 बीपी था, घर से अस्पताल अचेत गईं, वापस खुद चलकर आईं, डॉक्टर हैरान रह गए

मैंने 90 साल की उम्र में काेराेना काे हिम्मत और हाैसले से हराया है। यदि किसी काे काेराेना हाे गया ताे चिंता करने की काेई बात नहीं है। मेरा अनुभव यह है कि इन हालात में घबराने से पीड़ा ज्यादा बढ़ती है। इसलिए हमें मजबूत बनना पड़ेगा और मन में फालतू के विचार लाने बंद
भीलवाड़ा:कोराेना हुआ तब 510 शुगर, 200 बीपी था, घर से अस्पताल अचेत गईं, वापस खुद चलकर आईं, डॉक्टर हैरान रह गए

मैंने 90 साल की उम्र में काेराेना काे हिम्मत और हाैसले से हराया है। यदि किसी काे काेराेना हाे गया ताे चिंता करने की काेई बात नहीं है। मेरा अनुभव यह है कि इन हालात में घबराने से पीड़ा ज्यादा बढ़ती है। इसलिए हमें मजबूत बनना पड़ेगा और मन में फालतू के विचार लाने बंद करने पड़ेंगे। मैं खुद अस्पताल में अचेत अवस्था में गई और वापस खुद चलकर आई। 14 दिन अस्पताल में भर्ती रहकर काेराेना जैसी महामारी काे मात दे चुकी हूं।
मुझे 7 माह पहले काेराेना हाे गया था। उम्र के इस पड़ाव में कई बीमारियां भी हैं। काेराेना हाेने के बाद जब महात्मा गांधी अस्पताल में ले गए और डाॅक्टराें ने जांच की ताे 510 शुगर और 200 ब्लड प्रेशर था। सांस लेने में तकलीफ हाेने से चल नहीं पा रही थी। काेराेना के बारे में ज्यादा साेचा ही नहीं। सांस लेने में तकलीफ थी, लेकिन मशीनाें से सही हाे गया। अस्पताल में तीसरे दिन मुझे वेंटिलेटर पर ले रहे थे, लेकिन बेटे ने मना कर दिया।अस्पताल में चिंता इस बात की थी कि मुझे कम दिखता है। अब अस्पताल में काेई एक परिजन चाहिए था। मेरी बहू बालकंवर मारू अस्पताल में रही और मेरी सेवा की। मुझे डर था कि उसे काेराेना नहीं हाे जाए, लेकिन भगवान ने ऐसा कुछ नहीं किया। उसकी मदद से अच्छा खानपान रहा। मुझे वह पास बैठकर कुछ कहानी-किस्से सुनाती रहती थी ताे समय का पता नहीं चला। मैं अस्पताल में भर्ती रही, लेकिन काेराेना काे कभी मन पर हावी नहीं हाेने दिया। जैसे साधारण बीमारी हाेती है वैसे ही इसमें उपचार लिया। शुरूआत में इसके बारे में खूब सुना लेकिन कुछ नहीं। इसका हमें तनाव नहीं रखना है।अस्पताल में दवाइयाें के साथ-साथ घर से जाे दलिया और था उसे खाती थी। इन हालाताें से मैंने काेराेना काे हराया। घर आई तब डाॅक्टराें ने कहा कि सिलेंडर घर पर रखना पड़ेगा क्याेंकि ऑक्सीजन लेवल कम है। घर जाने के बाद तीन दिन तक सिलेंडर रखा और फिर मैंने हटा दिया। अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।
अपने काम खुद कर रही हूं। जब 15 दिन बाद बेटे ने डाॅक्टराें से संपर्क किया ताे वे भी हैरान थे कि इतनी बीमारियाें के बावजूद और इस उम्र में काेराेना काे हराया।आजकल ताे बीमारी हाेते ही माेबाइल पर जानकारी देखने लगते हैं, जिससे मन में गलत विचार आते हैं और बीमारी बढ़ती है। हमने ताे पहले भी कई महामारी देखी है, लेकिन लाेगाें काे इतना डरते हुए नहीं देखा। ऐसे में आत्मविश्वास मजबूत रखना जरूरी है।

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