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बीमा खरीदने से पहले कंपनी का क्लेम सैटलमेंट जाने खास रिपोर्ट

कोरोना संकट के बाद से जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की मांग तेजी से बढ़ी है। देश में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर आप अपनी और परिवार की जरूरत के मुताबिक बीमा पॉलिसी खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो दावा निपटान रिकॉर्ड
बीमा खरीदने से पहले कंपनी का क्लेम सैटलमेंट जाने खास रिपोर्ट

कोरोना संकट के बाद से जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की मांग तेजी से बढ़ी है। देश में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर आप अपनी और परिवार की जरूरत के मुताबिक बीमा पॉलिसी खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो दावा निपटान रिकॉर्ड (क्लेम सेटलमेंट रेश्यो) जरूर देंखे। बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि जिस कंपनी का दावा निपटान रिकॉर्ड 95 फीसदी से अधिक है उसी से पॉलिसी खरीदना चाहिए।

क्लेम सेटलमेंट रेश्यो से एक वित्त वर्ष के दौरान एक बीमा कंपनी द्वारा निपटाए गए कुल क्लेम का रिकॉर्ड होता है। इसकी गणना किए गए कुल क्लेम में मिले हुए क्लेम से भाग देकर किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक बीमा कंपनी के पास 1000 डेथ क्लेम किए गए हैं, और उनमें से उस कंपनी ने 924 क्लेम का सेटलमेंट किया है, तो उस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 92.4 फीसदी और क्लेम रिजेक्शन रेट 7.6 फीसदी होगा।क्लेम सेटलमेंट का सही पता लगाने के लिए तीन से पांच साल का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो देखना चाहिए। बीमा नियामक इरडा हर साल क्लेम सेटलमेंट रेश्यो का डेटा जारी करता है ताकि सही बीमा कंपनी का चयन करने में मदद मिल सके।

निजी बीमा कंपनियों के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो में सुधार हुआ है। यह 97.18% पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 97.18% था। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने वित्त वर्ष 2019-20 की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। वहीं, एलआईसी के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो में कमी आई है। यह 2019-20 में 96.6% रहा जो 2018-19 में 97.7% था।

 

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