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बिलासपुर:नवरात्रि:पंडितों ने कहा- 9 कन्याएं न सही, एक को ही माता के 9 रूप मानकर करिए पूजा

नवरात्रि में जितना महत्व माता की पूजा और व्रत का है, उतना ही कन्या पूजा का भी। इसके बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं मानी जाती, लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि लोग चाहकर भी कन्या पूजा नहीं कर सकते। वो इसलिए क्योंकि कोरोना की वजह से लॉकडाउन चल रहा है। संक्रमण के खतरे को
बिलासपुर:नवरात्रि:पंडितों ने कहा- 9 कन्याएं न सही, एक को ही माता के 9 रूप मानकर करिए पूजा

नवरात्रि में जितना महत्व माता की पूजा और व्रत का है, उतना ही कन्या पूजा का भी। इसके बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं मानी जाती, लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि लोग चाहकर भी कन्या पूजा नहीं कर सकते। वो इसलिए क्योंकि कोरोना की वजह से लॉकडाउन चल रहा है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसा करने से बचें। तो कन्या पूजा कैसे करें, इसका जवाब मंदिर के पुजारी दे रहे हैं। अगर हर दिन संभव ना हो तो अष्टमी, नवमी को भी कन्या पूजन कर सकते हैं, लेकिन इस बार व्रतियों के लिए समस्या है कि वह कैसे कन्या को अपने घर आमंत्रित करें। आज जो हालात हैं, इसमें सभी लोगों को अपने घर की लक्ष्मण रेखा लांघने से बचना चाहिए। 9 कन्याएं न सही, इस बार भक्त एक कन्या को ही माता के 9 रूप मानकर पूजा कर सकते हैं।व्यंकटेश मंदिर के महंत डॉ. कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य कहते हैं, शास्त्र के मुताबिक नवरात्रि के 9 दिनों में 1, 3, 5, 9 या 11 विषम संख्या में अपनी क्षमता के अनुसार कन्या का पूजन करना चाहिए। यह कन्या अपनी ही पुत्री या भतीजी हो सकती है। इससे एक ओर जहां पूजा संपन्न हो जाएगी, वहीं संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा।

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