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बस्ती : अपने ही निकले छुपे रुस्तम,बिगड़ा समीकरण

बस्ती : जिनके सहारे चुनाव की नैय्या पार कर ग्राम पंचायत के मुखिया की कुर्सी पर बैठने का सपना था,अब वही मैदान में कूद गए हैं। ऐसे में पुरानी गणित बिगड़नी तय है। चुनाव में जीत के लिए हर दांव लगेंगे। हर हुनर का उपयोग होगा, कहीं घात होगा तो कोई प्रतिघात करेगा। कुछ ऐसा
बस्ती : अपने ही निकले छुपे रुस्तम,बिगड़ा समीकरण

बस्ती : जिनके सहारे चुनाव की नैय्या पार कर ग्राम पंचायत के मुखिया की कुर्सी पर बैठने का सपना था,अब वही मैदान में कूद गए हैं। ऐसे में पुरानी गणित बिगड़नी तय है। चुनाव में जीत के लिए हर दांव लगेंगे। हर हुनर का उपयोग होगा, कहीं घात होगा तो कोई प्रतिघात करेगा। कुछ ऐसा ही हाल दो दिवसीय नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद ग्राम पंचायत चुनाव का है। जिले के तमाम ग्राम पंचायतों से अचानक ऐसे लोगों ने अपना नामांकन किया है, जो कल तक किसी न किसी के समर्थक थे। एक या दो रात पहले न जाने ऐसा क्या हुआ कि वह भी सीधे गद्दी हासिल करने की दौड़ में शामिल हो गए।तो जाहिर है चुनौती बढ़ जाएगी। नामांकन के समय छुपे रुस्तम बनकर निकले अपनों ने तमाम दिग्गजों का समीकरण बिगाड़ दिया है। जिनके बूते मैदान मारने की कसम ली, अब उन्हीं से लड़ना होगा। जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत में तो तस्वीर पहले से साफ थी, कि कितने लोग कहां से नामांकन करेंगे। जिला पंचायत के लिए राजनीतिक दलों से समर्थन मिलने के बाद बागी निर्दल दावेदारों ने कई क्षेत्रों में अपना दमखम दिखाना शुरू कर दिया है। कुछ स्थानों पर पार्टियों द्वारा समीकरण के अनुसार गलत व्यक्ति को टिकट देने की भी चर्चा है। तमाम दलों ने पार्टी में रहकर निर्दल चुनाव लड़ने वालों से वार्ता की,लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा। अधिकांश दावेदार यह कहकर लड़ाई में है, कि यह चुनाव पार्टी का है ही नहीं।

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