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प्रतापगढ़ :बुजुर्गों के सपनों को युवाओं ने सहेजा

पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने और जलस्तर सुधारने के लिए पांच दशक पूर्व के बुजुर्गों के सपनों को युवाओं ने सहेज कर रखा है। गांव का तालाब गांव की शान होती है। आज देखभाल के अभाव में न जाने कितने तालाब कूड़ा करकट के ढेर में तब्दील होते जा रहे हैं। वहीं कुछ गांव में बुजुर्गों
प्रतापगढ़ :बुजुर्गों के सपनों को युवाओं ने सहेजा

पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने और जलस्तर सुधारने के लिए पांच दशक पूर्व के बुजुर्गों के सपनों को युवाओं ने सहेज कर रखा है। गांव का तालाब गांव की शान होती है। आज देखभाल के अभाव में न जाने कितने तालाब कूड़ा करकट के ढेर में तब्दील होते जा रहे हैं। वहीं कुछ गांव में बुजुर्गों द्वारा बनाए गए तालाब हैं, जो देखते ही बन रहे हैं। आस पास और गांव के लोग सुबह शाम तालाब के पास जाकर प्रकृति का आनंद लेते हैं और उसी तालाब में बेसहारा पशु और पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं।ऐसा ही एक तालाब बाबा बेलखरनाथ धाम ब्लाक क्षेत्र का बिबियाकरनपुर गांव के उत्तरी छोर पर सई तट से दो किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पर जल स्तर गर्मियों में काफी नीचे चला जाता था। इससे लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता था। इसी संकट को देखते हुए सरोज बस्ती में पांच दशक पूर्व स्व. हरिवंश सरोज ने आसपास के लोगों की मदद से तालाब खोदवाकर लोगों के नहाने धोने और पशु-पक्षियों को पीने के पानी की व्यवस्था की थी। अपने बुजुर्ग की निशानी को आबाद रखने के लिए स्व. हरिवंश सरोज के परिवार के दिनेश प्रसाद सरोज, आशीर्वाद सरोज, अखंड प्रताप, रामा सरोज, सुरेश कुमार उसमें बराबर पानी डालकर हरा भरा कर बरकरार रखे हैं। आज यह तालाब पशु-पक्षियों की प्यास बुझा रहा है।

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