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प्रतापगढ़ : परदेस छूटा तो क्या, हौसला तो है कायम

फिल्मी नगमे के इस संकल्प को चरितार्थ करने वाले भी हैं। कोरोना काल में लाकडाउन ने नौकरी, काम धंधा छीन लिया तो भी बहुत से लोग दूसरी डगर पकड़कर नई ऊर्जा के साथ चल पड़े।दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा। ऐसे लोगों का व्यवसाय
प्रतापगढ़ : परदेस छूटा तो क्या, हौसला तो है कायम

फिल्मी नगमे के इस संकल्प को चरितार्थ करने वाले भी हैं। कोरोना काल में लाकडाउन ने नौकरी, काम धंधा छीन लिया तो भी बहुत से लोग दूसरी डगर पकड़कर नई ऊर्जा के साथ चल पड़े।दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा।

ऐसे लोगों का व्यवसाय बेशक छोटा हो, पर उनका हौसला बड़ा है। उदयपुर क्षेत्र के राम नगर कोल मुस्तफाबाद गांव निवासी पंकज कुमार यादव ऐसे ही प्रयास से खुशहाल जिदगी जी रहा है।सब कुछ बड़ा व्यवस्थित चल रहा था, पर लाकडाउन ने सब अस्त-व्यस्त कर डाला। खुद के पेट भरने का संकट खड़ा हो गया तो वह घर चला आया। जो कुछ जमा पूंजी थी उससे रोजी-रोटी चलाने के लिए एक ठेलिया किराए पर लिया। उस पर पत्नी के सहयोग से समोसा, टिकिया, चाउमीन, आदि बनाकर घर-घर फेरी लगाकर बेचने का काम करने लगा। वह कई साल से दिल्ली में रहकर खाना बनाने का ठेका लेता था।  लोगों को घर पर ही नाश्ता मिलने लगा तो उसे आर्डर खूब मिलने लगा। नो मास्क-नो नाश्ता

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