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प्रतापगढ़ : चुनाव गांवों का, फंसी बड़े-बड़ों की पगड़ी

प्रतापगढ़ : गंवई सियासत में दाखिला लेने व पास होने वाले लोग ही आगे चलकर सफल राजनेता बन पाते हैं। पैराशूट से उतरे नेता जीत जाने पर भी लंबी रेस में नहीं चल पाते।बड़े नेता बनने की प्राइमरी क्लास गावों में चलती है। यही वजह है कि पंचायत के इलेक्शन में यहां बड़े-बड़ों ने अपनी
प्रतापगढ़ : चुनाव गांवों का, फंसी बड़े-बड़ों की पगड़ी

प्रतापगढ़ : गंवई सियासत में दाखिला लेने व पास होने वाले लोग ही आगे चलकर सफल राजनेता बन पाते हैं। पैराशूट से उतरे नेता जीत जाने पर भी लंबी रेस में नहीं चल पाते।बड़े नेता बनने की प्राइमरी क्लास गावों में चलती है। यही वजह है कि पंचायत के इलेक्शन में यहां बड़े-बड़ों ने अपनी पगड़ी फंसा दी है।

सत्तादल भाजपा से लेकर कांग्रेस, सपा, अपना दल, आप, बसपा व अन्य दलों के नेता चुनाव के स्टार प्रचारक बने रहे। वह गांवों में गए। अपने उम्मीदवारों के लिए अपनी साख का हवाला दिया। कहा कि इनको नहीं, आप

हमको वोट दीजिए। हम आपके वोट का कर्ज उतारेंगे। प्रचार के अन्य माध्यमों में भी वह शामिल हुए। यही नहीं दिग्गजों ने कई कमजोर उम्मीदवारों की आर्थिक मदद तक की। यानि बेशक यह पंचायत चुनाव गांवों का है। गांव की सरकार बननी है। मतदाता भी ग्रामीण हैं। चुनाव का दायरा भी गांवों तक सिमटा है, पर इसमें बड़े-बड़ों की साख दांव पर है। इसकी वजह है कि जो जितने पंचायत प्रतिनिधि जिता लेगा उसकी राजनीतिक हैसियत उसी से आंकी जाएगी।होडिँग, बैनर, पर्चा में भी बड़े चेहरे नजर आए। अगले साल विधान सभा का चुनाव भी है। जीतने वाले उनके लिए वोट बैंक मैनेजर का काम करेंगे। वैसे भी देखा जाए तो जिले में कई ऐसे राजनेता हैं, जो प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य व प्रमुख बनने के बाद विधायक, सांसद व मंत्री तक का सफर तय किए व कर रहे हैं। ऐसे में उनके लिए भी इस गंवई राजनीति का खास मायने है।

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