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प्रतापगढ़ :अस्पताल में मरीज ठसाठस, अब बेंच पर इलाज

कोरोना जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।जिला अस्पताल भले ही मेडिकल कालेज में तब्दील हो गया है, पर अभी इंतजाम में कोई इजाफा न होने से मरीजों को बेंच व मेज पर इलाज कराना पड़ रहा है। सांस लेने में दिक्कत व बुखार से तप रहे लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं।
प्रतापगढ़ :अस्पताल में मरीज ठसाठस, अब बेंच पर इलाज

कोरोना जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।जिला अस्पताल भले ही मेडिकल कालेज में तब्दील हो गया है, पर अभी इंतजाम में कोई इजाफा न होने से मरीजों को बेंच व मेज पर इलाज कराना पड़ रहा है। सांस लेने में दिक्कत व बुखार से तप रहे लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं।

अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में पहले पूरा बरामदा खाली होता था। वहां कोई बेड नहीं लगाया जाता था।मरीजों की भरमार के चलते इमरजेंसी में बेड कम पड़ गए। बारह बेड की जगह अब वहां पर 22 बेड लगे हैं, फिर भी वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं। मरीजों को अपने घर से चारपाई व चटाई बिस्तर लाना पड़ रहा है। गुरुवार को भी हालात ऐसे ही नजर आए। मोहनगंज के रामसजीवन को बेंच पर लिटाकर सुई-दवाई की जा रही थी। बेड केवल वार्ड में लगते थे, जहां मरीजों को भर्ती किया जाता था, लेकिन कोरोना ने सब बदल डाला। उनका बेटा उनको संभाल रहा था कि कहीं मेज से लुढ़क कर गिर न जाएं। मेज की सतह कड़ी होने से मरीजों को उस पर सुकून नहीं मिलता, लेकिन मजबूरी ऐसी कि जाएं तो जाएं कहां। बगल में पट्टी के शंभूनाथ को बेंच पर बैठाकर इंजेक्शन लगाया जा रहा था। वह ठीक से बैठ नहीं पा रहे थे, पर क्या करते बैठे रहे। नर्स किसी तरह उसकी सेवा कर रही थीं। घर के लोग व्यवस्था को कोस रहे थे।

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