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निर्मला सीतारमण ने इस बार खत्म की थी आजादी से चली आ रही ब्रीफकेस परंपरा, देखिये क्या दिया नाम

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट एक फरवरी 2021 को पेश होगा। इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का तीसरा बजट होगा। साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आजादी से चले आ रहे ब्रीफकेस के ट्रेंड को खत्म कर दिया था। वे परंपरा बदलते हुए
निर्मला सीतारमण ने इस बार  खत्म की थी आजादी से चली आ रही ब्रीफकेस परंपरा, देखिये क्या दिया नाम

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट एक फरवरी 2021 को पेश होगा। इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का तीसरा बजट होगा। साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आजादी से चले आ रहे ब्रीफकेस के ट्रेंड को खत्म कर दिया था। वे परंपरा बदलते हुए ब्रीफकेस की जगह एक फोल्डर में बजट लेकर निकली थीं। जबकि अंतरिम बजट 2019 में पीयूष गोयल ने लाल रंग के ब्रीफकेस का प्रयोग किया था। वित्त मंत्री ने खुलासा किया था कि उनकी मामी ने उन्हें यह बस्ता बनाकर दिया था।

इस फोल्डर को उन्होंने बहीखाते का नाम दिया।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बार फिर से बहीखाता लेकर के बजट पेश करने को निकली हैं। पिछली बार पांच जुलाई को भी वित्त मंत्री ने ब्रीफकेस की जगह बहीखाता का इस्तेमाल किया था। वित्त मंत्रालय ने सबसे पहले राष्ट्रपति भवन पहुंचीं वित्त मंत्री 11 बजे संसद में बजट को पेश करेंगी। इस संदर्भ में सीतारमण ने कहा था कि, ‘सूटकेस, ब्रीफकेस मुझे पसंद नहीं आता। यह अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। हमें यह पसंद नहीं। फिर मेरी मामी ने मुझे लाल कपड़े का बस्ता बनाकर दिया। उन्होंने पूजा-अर्चना करने के बाद मुझे यह लाल बस्ता दिया। यह घर का थैला नहीं लगे इसलिए सरकारी पहचान देने के लिए उस पर अशोक स्तंभ का चिन्ह लगाया गया।’इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में हर क्षेत्र में अपनी परंपराएं हैं। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन हो या घर, दुकान के नए बहीखातों की शुरुआत का मौका, उसका लाल कवर होता है, लाल कपड़े में लपेटा जाता है और उस पर कुमकुम, हल्दी, चंदन लगाकर अथवा शुभ लाभ लिखकर शुरुआत की जाती है।

‘मैं यही सोचकर लाल कवर लेकर आई और उसमें बजट लेकर जाने की बात कही। लेकिन मुझे घर में कहा गया कि ऐसा करने पर दस्तावेज संसद ले जाते समय गिर सकते हैं तब मामी ने लाल कपड़े का यह बस्ता बनाकर दिया। उन्होंने उसे खुद अपने हाथों से सिला।’ इसके बाद उन्होंने कहा कि उनके बस्ते को जनता ने बहीखाता का नाम दिया। इस साल भी एक और सालों पुरानी परंपरा टूटेगी। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत केंद्र सरकार इस साल विशाल बजट दस्तावेज नहीं छपवा रही है। मुद्रित दस्तावेज की जगह सांसदों को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से इसे उपलब्ध कराया जाएगा। दस्तावेज की छपाई के लिए हर साल आवश्यक स्टाफ को वित्त मंत्रालय के बेसमेंट स्थित प्रिंटिंग प्रेस में बजट पेश किए जाने से पहले करीब दो हफ्ते के लिए बंद कर दिया जाता था। दस्तावेज की प्रिंटिंग का काम ‘हलवा’ वितरण समारोह से शुरू होता था। बेसमेंट प्रेस में बंद किया गया स्टाफ बजट पेश होने के बाद ही बाहर आता है।

 

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