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नाकाम सिस्टम, बेपरवाह लोग : न कोरोना फैलने का भय न जुर्माना देने का डर

सिस्टम की नाकामी कही जाए या फिर लोगों की लापरवाही। कोरोना संक्रमण से बचाव को ले जारी गाइडलाइन बेअसर साबित हो रहा है। न तो लोगों में कोरोना के फैलने का भय है न उल्लंघन के आरोप में लगने वाले जुर्माने का। यही वजह है कि चाहे वह ट्रेन हो या फिर बस व ऑटो
नाकाम सिस्टम, बेपरवाह लोग : न कोरोना फैलने का भय न जुर्माना देने का डर

सिस्टम की नाकामी कही जाए या फिर लोगों की लापरवाही। कोरोना संक्रमण से बचाव को ले जारी गाइडलाइन बेअसर साबित हो रहा है। न तो लोगों में कोरोना के फैलने का भय है न उल्लंघन के आरोप में लगने वाले जुर्माने का। यही वजह है कि चाहे वह ट्रेन हो या फिर बस व ऑटो का सफर। यात्रा करने वाले लोगों के चेहरे पर न तो मास्क दिख रहा है न एक-दूसरे के बीच दो गज की दूरी ही दिख रही। संक्रमण से बचाव को ले जारी गाइडलाइन बस स्टैंड व से लेकर रेलवे स्टेशन व बाजार तक लोगों के लिए मजाक सा लगने लगा है। दैनिक जागरण की टीम ने रविवार को भी रेलवे स्टेशन पर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए की गई व्यवस्था से रूबरू हुई।फुट ओवर ब्रिज पर बना सैंपल जांच संग्रहण केंद्र पर भी 1.35 में सन्नाटा रहा। वहां पर थर्मल स्क्रीनिग व सैंपल जांच संग्रहण के लिए न तो डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे न रेलवे कर्मी ही। जबकि उस वक्त अप में पूरी से नई दिल्ली तक जाने वाली पुरूषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन आने से संबंधित सूचना प्रसारित की जा रही थी। रेल परिचालन अधिसूचना में यह साफ स्पष्ट है कि ट्रेन के आने से लगभग एक पहले यात्रियों को स्टेशन पर पहुंच जाना है ताकि थर्मल स्क्रीनिग समेत अन्य प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सके। यात्री सवाल उठाते हैं कि जब जांच केंद्र पर चिकित्सक व कर्मी ही मौजूद नहीं है तो आखिर जांच करेगा कौन। रेलवे के स्थानीय अधिकारियों को भी यह पता नहीं है कि सैंपल जांच संग्रहण केंद्र विगत कई दिनों से खाली रह रहा है। समय 2.20 – स्थान – रेलवे प्लेटफार्म संख्या दो रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो पर सफर करने वाले यात्रियों में कोरोना का भय नहीं दिख रहा है। बिना मास्क मजे से ट्रेन से उतर अपने घर को चले जा रहे हैं। कभी कभार रेलवे सुरक्षा बल की ओर से मास्क पहनने व कोरोना गाइडलाइन अनुपालन को ले माइक से जागरूक करने का काम किया जाता रहा। रेलवे प्लेटफार्म ऐसे यात्रियों की संख्या काफी मिली जो बगैर मास्क के ट्रेन की इंतजार में बैठे थे।

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