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नई फाॅक्सवैगन पोलो भारत में हो सकती है लाॅन्च,इसकी चौड़ाई को चार मीटर से कम कर दिया गया है

फॉक्सवैगन अपनी पोलुलर हैचबैक पोलो को पिछले कई सालों से बेच रही है। इस कार में कंपनी ने अब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि कंपनी जल्द ही पोलो हैचबैक को नए अवतार में लॉन्च कर सकती है। हाल ही में फॉक्सवैगन इंडिया के ब्रांड डायरेक्टर, आशीष
नई फाॅक्सवैगन पोलो भारत में हो सकती है लाॅन्च,इसकी चौड़ाई को चार मीटर से कम कर दिया गया है

फॉक्सवैगन अपनी पोलुलर हैचबैक पोलो को पिछले कई सालों से बेच रही है। इस कार में कंपनी ने अब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि कंपनी जल्द ही पोलो हैचबैक को नए अवतार में लॉन्च कर सकती है। हाल ही में फॉक्सवैगन इंडिया के ब्रांड डायरेक्टर, आशीष गुप्ता ने कहा है कि कंपनी भारत में नई पोलो को लॉन्च करने पर विचार कर रही है।बता दें कि भारत में कंपनी पोलो के पांचवे जनरेशन की बिक्री कर रही हैनई फाॅक्सवैगन पोलो भारत में हो सकती है लाॅन्च,इसकी चौड़ाई को चार मीटर से कम कर दिया गया है

जबकि पोलो के छठे जनरेशन को अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2017 में ही लॉन्च कर दिया गया है। नई जनरेशन पोलो कंपनी के लेटेस्ट ‘एमक्यूबी एओ आईएन’ प्लेटफॉर्म पर बनाई जाएगी। कंपनी वर्तमान जनरेशन पोलो को पीक्यू 25 प्लेटफार्म पर बना रही है।एमक्यूबी एओ आईएन (MQB AO IN) डिजाइन प्लेटफॉर्म को खासतौर पर भारत के लिए विकसित किया गया है। यह प्लेटफॉर्म फॉक्सवैगन की कारों को तकनीकी आधार पर स्थानीयकरण प्रदान करती है।नई फाॅक्सवैगन पोलो भारत में हो सकती है लाॅन्च,इसकी चौड़ाई को चार मीटर से कम कर दिया गया है इस प्लेटफॉर्म पर तैयार की जाने वाली कारों का निर्माण भारत में ही किया जा रहा है।वर्तमान जनरेशन पोलो हैचबैक का साइज 4 मीटर से अधिक है। कंपनी का कहना है कि नई जनरेशन पोलो की कीमत को नियंत्रित रखने के लिए इसके साइज को 4 मीटर के भीतर रखा जाएगा।कंपनी के अनुसार, भारत में नई जनरेशन पोलो को लाने से पहले इसमें काफी मॉडिफिकेशन की जरूरत होगी।नई फाॅक्सवैगन पोलो भारत में हो सकती है लाॅन्च,इसकी चौड़ाई को चार मीटर से कम कर दिया गया है

इसके साइज को कम करने के साथ इसमें स्पेस, कम्फर्ट और फीचर्स का सही तालमेल बनाना पड़ेगा। इसके अलावा भारतीय टैक्स रेगुलेशन के मानकों को भी पूरा करना होगा।हालांकि, कंपनी का यह भी कहना है कि पोलो को नए प्लेटफॉर्म पर अपग्रेड करना खर्चीला साबित हो सकता है। कंपनी अपने उत्पादों को नए प्लेटफार्म पर लाना चाहती है, लेकिन उसे लागत का भी ध्यान रखना होगा। कार की कीमत बढ़ने से ग्राहकों का पसंद बदल सकता है।

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