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देश का पहला आम बजट और आयकर कानून 1860 में पेश हुआ था, जानिए क्या है इतिहास क्या है

जिस व्यक्ति ने पहली बार देश का आम बजट पेश किया था, वो एक अंग्रेज था। 1860 में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में सालाना बजट पेश करने की अवधारणा को शुरू किया गया। यह व्यक्ति जन्म से तो अंग्रेज था, लेकिन इसकी कब्र पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के मुलिक बाजार कब्रिस्तान में आज
देश का पहला आम बजट और आयकर कानून 1860 में पेश हुआ था, जानिए क्या है इतिहास  क्या है

जिस व्यक्ति ने पहली बार देश का आम बजट पेश किया था, वो एक अंग्रेज था। 1860 में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में सालाना बजट पेश करने की अवधारणा को शुरू किया गया। यह व्यक्ति जन्म से तो अंग्रेज था, लेकिन इसकी कब्र पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के मुलिक बाजार कब्रिस्तान में आज भी मौजूद है। जेम्स विलसन को भारत में बजट का पितामाह माना जाता है। जेम्स उस समय के वायसराय लॉर्ड कैनिंग की परिषद में वित्त सदस्य थे। इसके अलावा वो इंग्लैंड की संसद में सदस्य, यूके कोषागार के वित्त सचिव व व्यापार बोर्ड में उपाध्यक्ष थे।

1857 में हुए विद्रोह के दो साल बाद विलसन 28 नवंबर 1859 को भारत आए थे। विद्रोह के चलते अंग्रेज सरकार का खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका था। सेना पर ज्यादा पैसा खर्च होने की वजह से तत्कालीन ईस्ट इंडिया सरकार पर उधार बढ़ता जा रहा था। उस वक्त के कठिन दौर मे विलसन ने तब सरकार के लिए संकटमोचन की भूमिका निभाई थी। विलसन को विश्व की प्रसिद्ध अर्थशास्त्र पर आधारित मैगजीन द इकोनॉमिस्ट और विश्व की प्रसिद्ध बैंकों में शुमार स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक की भी स्थापना की थी। विलसन ने सेना के साथ ही साथ सरकार के द्वारा किए जाने वाले खर्चों व कमाई के ब्यौरे को पेश किया था। विलसन ने ही देश भर में पहली बार आयकर कानून को लागू किया था। हालांकि इस कानून को तब लागू करने के बाद जनता की तरफ से काफी रोष का सामना करना पड़ा था।

लेकिन तब विलसन ने कहा था कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों को सुरक्षित माहौल व्यापार करने के लिए दे रही है, जिसके एवज में वो बहुत ही कम फीस आयकर के तौर पर ले रही है। आयकर न देने का तिकड़म आज भी लोगों को आता है। आजादी के 70 सालों बाद आयकर देने वालों की संख्या में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है। 2016 में आयकर से जुड़े एक अधिकारी ने कहा था कि आज भी केवल 24.4 लाख लोग ही आयकर देते हैं, जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है। वहीं पिछले पांच सालों में लोग हर साल 25 लाख नई गाड़ियां खरीद रहे हैं, जिसमें 35 हजार लग्जरी गाड़ियां शुमार थीं।

 

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