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गोपालगंज:मरीजों की समस्या देख कार्यालय को बना दिया आइसोलेशन सेंटर, 14 डॉक्टरों के साथ हर बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था

कोरोना काल के इस निगेटिव दौर में नेशनल एंटी क्राइम ह्यूमन राइट्स कौंसिल ऑफ इंडिया ने पॉजिटिव सोच से राहत देने का प्रयास किया है। पटना स्थित केंद्रीय प्रशासनिक कार्यालय को आइसोलेशन वार्ड बना दिया है। इसके लिए 14 डॉक्टरों की टीम के साथ हर बेड पर ऑक्सीजन की तैयारी की जा रही है। अनुमति
गोपालगंज:मरीजों की समस्या देख कार्यालय को बना दिया आइसोलेशन सेंटर, 14 डॉक्टरों के साथ हर बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था

कोरोना काल के इस निगेटिव दौर में नेशनल एंटी क्राइम ह्यूमन राइट्स कौंसिल ऑफ इंडिया ने पॉजिटिव सोच से राहत देने का प्रयास किया है। पटना स्थित केंद्रीय प्रशासनिक कार्यालय को आइसोलेशन वार्ड बना दिया है। इसके लिए 14 डॉक्टरों की टीम के साथ हर बेड पर ऑक्सीजन की तैयारी की जा रही है। अनुमति के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा गया है, संस्था का कहना है कि अनुमति मिलने के साथ ही प्रशासन के निर्देशन में इमरजेंसी आइसोलेशन सेंटर तैयार कर दिया जाएगा।नेशनल एंटी क्राइम ह्यूमन राइट्स कौंसिल ऑफ इंडिया (NACHRCOI) का कहना है कि वैश्विक महामारी में बिहार की भी हालत खराब है। यहां मरीजों को बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जो प्रभाव और जुगाड़ वाले हैं उन्हें तो पैसा खर्च करने पर व्यवस्था मिल जा रही है, लेकिन गरीब लोग परेशान हो रहे हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्च वह उठा नहीं पा रहे हैं और सरकारी में जगह नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीजों के लिए संस्था द्वारा इमरजेंसी आइसोलेशन सेंटर बनाने का फैसला लिया गया है जहां मरीजों को कम से कम ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होगी और उनकी जान बचाई जा सकेगी। संस्था अध्यक्ष डॉ मुस्तफा का कहना है कि सलाहकार समिति का यह फैसला जनहित में है। केंद्रीय प्रशासनिक कार्यालय को इमरजेंसी आइसोलेशन सेंटर बनाने से थोड़ी राहत और सरकार पर दबाव कम होगा। अगर यह प्रयास सफल हुआ तो जगह जगह ऐसे इमरजेंसी आइसोलेशन सेंटर बनाकर लोगों की मदद की जा सकेगीसंस्था का कहना है कि कोरोना से प्रदेश में अफरातफरी का माहौल है। लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भाग रहे हैं। ऐसे में अगर कोई सेंटर ऐसा होगा जहां निशुल्क लोगों को ऑक्सीजन के साथ डॉक्टरों की पूरी व्यवस्था होगी तो काफी आसानी होगी। इस माहौल में लोग सरकारी सिस्टम पर काफी दबाव बना रहे हैं, यह दबाव ऐसे प्रयासों से खत्म होगा। गंभीर रोगी ही हॉस्पिटल जाएंगे, सामान्य ऑक्सीजन की कमी वालों को ऐसे इमरजेंसी आइसोलेशन सेंटर में ही रखकर ठीक किया जा सकता है। डॉ. मुस्तफा का कहना है कि सरकार को जगह-जगह आम लोगों के सहयोग से ऐसे सेंटर बनाने चाहिए जिससे सामान्य रोगियों को राहत मिल सके और सरकारी अस्पतालों का दबाव भी कम हो सके।
पैसे के अभाव में लोग प्राइवेट हॉस्पिटल नहीं जाते और संक्रमण के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर गंभीर बना देते हैं। कई ऐसे लोग भी है जिनके परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक है और लक्षण आने पर वह एक कमरे में आइसोलेट नहीं हो पाते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह प्रयास काफी अच्छा होगा। लोग निशुल्क आइसोलेशन में रहकर ठीक हो सकते हैं। इमरजेंसी आइसोलेशन ऐसे लोगों के लिए काफी मददगार होगा। हजारों लोगों को राहत मिल जाएगी। कई परिवारों में देखा गया है कि एक इंसान से पूरा घर तबाह हो जाता है। ऐसे में अगर लक्षण के बाद व्यक्ति परिवार से दूर हो जाए तो अन्य सदस्यों को बचाया जा सकता है।

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