गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी में सोच समझकर निवेश करे , कॉरपोरेट मंत्रालय ने निवेशकों को किया अगाह
कॉरपोरेट मंत्रालय ने निवेशकों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि वे निवेश करने से पहले निधि कंपनियों की प्रमाणिकता अवश्य जांच लें। मंत्रालय ने कहा है कि कई निधि कंपनियों तय नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। कंपनी कानून के तहत पंजीकृत निधि कंपनियां गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां होती हैं जो अपने सदस्यों से पैसा कर्ज पर लेती हैं और उन्हें उधारी भी देती हैं। कॉरपोरेट मंत्रालय ने कहा कि अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा ऐसी कंपनियों में लगाने से पहले सभी निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे निधि कंपनी की प्रमाणिकता और स्थिति का पता लगा लें।
खासकर यह पता करें कि वे केंद्र सरकार के पास निधि कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं भी या नहीं।संशोधित कंपनी अधिनियम, 2013 तथा निधि नियम 2014 के अधीन कंपनियों को फॉर्म एनडीएच-4 में कॉरपोरेट मंत्रालय के पास आवेदन कर खुद का निधि कंपनी के रूप में घोषित करवाना होता है। मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा फार्म एनडीएच-4 की पड़ताल से पता चला है कि कुछ कंपनियां इन नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रही हैं।भारतीय रिज़र्व बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत ऐसी कंपनियों के बारे में जो मुख्य कारोबार के 50-50 मानदंडों को पूरा करती हैं, को पंजीकृत करने, नीति-निर्धारण करने, निर्देश देने, निरीक्षण करने, विनियमित करने, पर्यवेक्षण करने तथा उन पर निगरानी रखने की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों, एवं अधिनियम के अंतर्गत जारी निदेशों अथवा आदेशों का उल्लंघन करने पर दंडित कर सकता है। दंड के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र निरस्त कर सकता है, उसे जमाराशियां लेने से मना कर सकता है तथा उनकी आस्तियों के स्वत्वाधिकार का अंतरण कर सकता है अथवा उसे बंद करने के लिए याचिका दायर कर सकता है।