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क्या यह २०२१ का बजट आम आदमी के ऊपर खरा उतर पायेगा

वित्त वर्ष 2021-22 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण ने एलान किया है कि इस साल का बजट ऐसा आएगा, जैसा पिछले 100 सालों में भी पेश नहीं किया गया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ये तीसरा बजट होगा। वैसे तो आम बजट प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप
क्या यह २०२१ का बजट आम आदमी के ऊपर खरा उतर पायेगा

वित्त वर्ष 2021-22 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण ने एलान किया है कि इस साल का बजट ऐसा आएगा, जैसा पिछले 100 सालों में भी पेश नहीं किया गया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ये तीसरा बजट होगा। वैसे तो आम बजट प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आम आदमी को प्रभावित करता ही है। इसलिए बजट पेश होना, हर किसी के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।आम आदमी सामान्य तौर पर बजट से आयकर में छूट की उम्मीद करता है। यहां समझते हैं कि आम बजट से देश की जनता के मूड पर कैसे और क्यों असर पड़ता है?

आम लोगों के हाथ में आय को बढ़ाने के उद्देश्य से टैक्स के जानकारों ने टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाने का एलान किया है। जानकारों ने मांग की है टैक्स सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये से पांच लाख रुपये के बीच कर देना चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैक्स सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए। इसके अलावा एक्सपर्ट्स ने मौजूदा टैक्स स्लैब में भी बदलाव करने की सलाह दी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दस लाख रुपये तक की आय पर टैक्स दर 10 फीसदी, 20 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स दर 20 फीसदी और 30 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स 30 फीसदी होना चाहिए।हालांकि पिछले साल सरकार की ओर से एक वैकल्पिक इनकम टैक्स स्लैब दिया गया था और एक शर्त रखी गई थी कि अगर कोई करदाता नए इनकम टैक्स स्लैब के तहत कर देता है तो वो आयकर कानून के चैप्टर VI-A के तहत मिलने वाले डिडक्शन और एग्जेंप्शन का फायदा नहीं उठा पाएगा।

सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए प्रॉपर्टी और इक्विटीज की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स बढ़ा सकती है। हालांकि निवेश और बचत पर जोर डालने के लिए सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कुछ छूट भी मिल सकती है। जानकारों का मानना है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की होल्डिंग अवधि को 36 महीने से घटाकर 24 या 12 महीने कर देना चाहिए। देश में कोरोना का कहर अभी भी बरकरार है लेकिन अब इससे लड़ने के लिए वैक्सीन तैयार हो चुकी है और टीकाकरण कार्यक्रम भी शुरू हो गया है। लेकिन 130 करोड़ लोगों को टीका लगाना आसान नहीं है, इसमें 50,000-60,000 करोड़ रुपये तक का खर्च आ सकता है। जानकारों का मानना है कि ज्यादा टैक्स देने वाले करदाताओं से ही इस सेस की राशि को जुटाया जा सकता है।

आयात शुल्क इसलिए लगाया जाता है ताकि सस्ते आयात से घरेलू इंडस्ट्री या उद्योगों को बचाया जा सके। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस साल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स और दूसरे उपकरणों सहित कम से कम 50 वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है।कोरोना वायरस की वजह से कई इंडस्ट्री ऐसी हो गई हैं, जो अब स्थायी तौर पर वर्क फ्रॉम होम कल्चर को अपना सकती हैं। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि सरकार की ओर वर्क फ्रॉम होम से काम करने वाले कर्मचारियों को इनकम टैक्स में अतिरिक्त छूट मिल सकती है। मौजूदा समय में एनपीएस पर बना कानून कहता है कि खाते को बंद किए जाने के बाद केवल 60 फीसदी राशि पर ही टैक्स नहीं लगता है। बची हुई राशि से खाताधारकों को एन्यूटी खरीदनी होती है, यानि कि एन्यूटी पर टैक्स लगता है। जबकि अगर कोई शख्स ईपीएफ में निवेश कर रहा है तो उसे पूरी राशि पर टैक्स छूट की सुविधा मिलती है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि ईपीएफ की तरह एनपीएस पर भी सरकार को पूरी राशि की निकासी पर टैक्स छूट की सुविधा देनी चाहिए। इसके अलावा 40 फीसदी राशि से एन्यूटी खरीदने की अनिवार्यता को भी खत्म कर देना चाहिए।

हर बजट में शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर कई घोषणाएं की जाती हैं। बजट में शिक्षा को लेकर किए गए एलान से बच्चो की पढ़ाई और उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है, वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर की गई घोषणाओं से सड़क, घर, रेलवे की लाइन, बिजली के टावर, अस्पताल जैसे अन्य मुद्दों पर जोर दिया जाता है।’एक टैक्स प्रेक्टिशन के तौर आने वाले बजट 2021 से ये उम्मीद की जा सकती है कि धारा 80सी की कटौती सीमा 1,50,000 रुपये से बढ़ाकर 3,00,000 रुपये प्रति वर्ष होनी चाहिए। यह बदलाव निवेश को अधिक से अधिक बढ़ावा देगा और अंततः देश के समग्र विकास को बढ़ावा देगा। साथ ही, हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार सरकार लॉन्ग टर्म और शॉर्ट-टर्म सेविंग्स के बीच स्पष्ट अंतर अपनाएगी, क्योंकि लॉन्ग टर्म सेविंग्स को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स पॉलिसी में कोई बड़ा प्रोत्साहन नहीं है, जो इस महामारी के दौरान बेहद जरूरी है। जीवन बीमा पॉलिसी और पेंशन फंड दीर्घकालिक उद्देश्य के लिए बचत का प्रमुख स्रोत हैं। इस बार हम उम्मीद कर सकते हैं कि सरकार धारा 80 सी के अलावा इन दोनों के लिए अलग-अलग छूट की सीमा तय करने पर विचार करेगी।’

 

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