क्या आपको लगता है की rbi डेबिट कार्ड पर ‘ट्रांजैक्शन डिक्लाइन फीस’ खत्म करेगा हा या नहीं
ऑल इंडिया बैंक डिपॉजिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से डेबिट कार्ड पर ‘ट्रांजैक्शन डिक्लाइन फीस’ खत्म करने की मांग की है. 3-5 फरवरी को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक करने वाली है. पॉलिसी बैठक से पहले आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास से संगठन ने यह मांग की है. एसोसिएशन ने इस चार्ज को अनुचित करार दिया है. डेबिट कार्ड पर ‘ट्रांजैक्शन डिक्लाइन चार्ज’ के तौर पर बैंक लोगों से 25 रुपये के साथ जीएसटी वसूलते हैं. यह चार्ज पेनाल्टी के तौर पर वसूला जाता है. ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति खाते में पर्याप्त बैलेंस न होने पर एटीएम से कैश निकालने की कोशिश या फिर डेबिट कार्ड से पेमेंट करता है. इसे आप चेक बाउंस होने के चार्ज का डिजिटल वर्जन कह सकते हैं.यह चार्ज पेनाल्टी के तौर पर वसूला जाता है.
ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति खाते में पर्याप्त बैलेंस न होने पर एटीएम से कैश निकालने की कोशिश या फिर डेबिट कार्ड से पेमेंट करता है.एसोसिएशन ने कहा कि डिजिटल तरीके से भुगतान करने वाले कंज्यूमर्स पर इस तरह की भारी-भरकम पेनाल्टी सरासर गैर-वाजिब है. यह डिजिटल पेमेंट के अनुभव को खट्टा करती है. लोग इसके चलते डिजिटल पेमेंट से दूरी बनाते हैं. यह बात उन लोगों के मामले में ज्यादा लागू होती है जो कमजोर तबके से आते हैं. इनके खातों में हमेशा पर्याप्त बैलेंस नहीं होता है.एसोसिएशन ने कहा कि ये चार्ज न केवल अनुचित हैं, बल्कि ‘ट्रांजैक्शन डिक्लाइन’ के सिद्धांतों के खिलाफ भी हैं. कारण है कि यह थर्ड-पार्टी को चेक जारी करने जैसा नहीं है. इसके बजाय यह एक डिपॉजिटर के ब्रांच में जाने और कैश निकालने की कोशिश करने जैसा है. इसके अलावा ऐसे ट्रांजैक्शन में कार्ड जारी करने वाले बैंक की कोई लागत भी जुड़ी नहीं होती है. संगठन ने आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की भी अपील की है. इसके पीछे उसने बढ़ती महंगाई और कच्चे तेल की मजबूत होती कीमतों का हवाला दिया है.