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इलेक्ट्रिक वाहनों पर gst कम होने की संभावना , GST काउंसिल की बैठक में हो सकता है फैसला

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के दाम घटाने पर काम शुरू हो गया है। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक अगले महीने होने वाली संभावित जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन पर दरें घटाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है।मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक बजट के बाद
इलेक्ट्रिक वाहनों पर gst कम होने की संभावना , GST काउंसिल की बैठक में हो सकता है फैसला

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के दाम घटाने पर काम शुरू हो गया है। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक अगले महीने होने वाली संभावित जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन पर दरें घटाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है।मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक बजट के बाद जीएसटी की दरों की रिस्ट्रक्चरिंग का काम शुरू हो गया है। इसमें सबसे पहले इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सुधारने पर काम किया जा रहा है। इससे मुश्किल ये आ रही है कि कच्चे माल पर लगने वाले टैक्स की दरें अंतिम उत्पाद की तुलना में ज्यादा हो जाती है। ऐसे में विदेश से आयात को बढ़ावा मिल जाता है।

बैटरी की कीमत कम होगी सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी और दूसरे कच्चे माल पर लगने वाली टैक्स की दरों को सुधारने पर काम शुरू कर चुकी है। आने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में बैटरी से जुड़ी सेवाओं पर भी टैक्स की दरों को घटाया जा सकता है। इन दरों को 18 फीसदी से घटाकर 12 या फिर 5 फीसदी के दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है। देश में मौजूदा समय में लीथियम ऑयन बैटरी पर जीएसटी दर 18 फीसदी है। वहीं बैटरी बदलने और चार्जिंग सेवाओं पर भी 18 फीसदी जीएसटी देना होता है। हालांकि हालांकि बैटरी के साथ गाड़ी बेचने पर जीएसटी 5 फीसदी लगता है। इसके चलते ग्राहकों को लगता है कि इलेक्ट्रिक गाड़ी का मेंटेनेंस महंगा हो जाएगा। सरकार इन खामियों को दूर करने के लिए नए सिरे से विचार विमर्श कर रही है।

दरों में विसंगतियों को लेकर सूची तैयार अधिकारियों ने ऐसे उत्पादों की लिस्ट बनानी शुरू कर दी है जिन पर टैक्स की दरों में विसंगतियां हैं और कारोबारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जीएसटी काउंसिल की बैठक की अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है लेकिन जानकारी के मुताबिक अगले महीने के मध्य में सभी राज्यों की सहमति से बैठकर कर इन जरूरी मुद्दों पर चर्चा के बाद मुहर लग सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण का हब बनाने का मकसद केंद्र सरकार ई-वाहनों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देना चाहती है। जिस तरह डेट्रायट पारंपरिक वाहनों का हब है, सरकार उसी प्रकार भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाना चाहती है। इसके लिए बैटरी, चार्जिंग प्वाइंट जैसे बुनियादी ढांचे पर तेजी से काम किया जा रहा है। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हाईवे पर विशेष लेन बनाने पर विचार कर रही है और जल्द फैसला हो सकता है।

घट सकती है गाड़ियों की बिक्री ईंधन की बढ़ती कीमत का असर पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर हो सकता है। ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन ने हिन्दुस्तान को बताया कि भारत में लोग गाड़ियों की कीमत और परिचालन लागत को लेकर बड़े सजग होते हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से परिचालन लागत तेजी से बढ़ी है। इससे आने वाले समय में गाड़ियों की बिक्री कम हो सकती है। इसका फायदा इलेक्ट्रिक गाड़ियों को मिल सकता है। कंपनियां भी कम कीमत में इलेक्ट्रिक गाड़ियां ला रही हैं।

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