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अगर डीजल पेट्रोल gst में आ जाये तो 45 रुपये लीटर हो जायेगा , अब सीईए ने भी वकालत

इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया का इंजन अभी भी पेट्रोल-डीजल से ही चल रहा है। इसके दाम में बदलाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है चाहे वह वाहन चलाता हो या नहीं। कच्चे तेल के दाम में लगातार वृद्धि होने से भारत में सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ा रही हैं। फरवरी में ही दोनों ईंधन
अगर डीजल पेट्रोल gst में आ जाये तो 45 रुपये लीटर हो जायेगा , अब सीईए ने भी वकालत

इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया का इंजन अभी भी पेट्रोल-डीजल से ही चल रहा है। इसके दाम में बदलाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है चाहे वह वाहन चलाता हो या नहीं। कच्चे तेल के दाम में लगातार वृद्धि होने से भारत में सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ा रही हैं। फरवरी में ही दोनों ईंधन करीब 5 रुपये लीटर बढ़ चुके हैं। भारत के लोगों को तेल की महंगाई का बोझ केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स की वजह से कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। इस बोझ को कम करने के लिए अब पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की पुरजोर वकालत की जा रही है।

आज मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसपर निर्णय जीएसटी परिषद को करना है। सुब्रमण्यम ने हाल में फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथभारत परिचर्चा में कहा, ”यह एक अच्छा कदम होगा। इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है।  पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का आग्रह किया है।  ईंधन कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से आम आदमी पर बोझ बढ़ा है। यह विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में एक प्रमुख मुद्दा है।  सुब्रमण्यम ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई की वजह से है

केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने पर विचार कर रही है। अगर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझावों पर अगर जीएसटी परिषद अमल करती है तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आधी हो जाएगी। दो दिन पहले उन्होंने कहा था कि उनका मंत्रालय जीएसटी परिषद से पेट्रोलियम उत्पादों को अपने दायरे में शामिल करने का लगातार अनुरोध कर रहा है, क्योंकि इससे लोगों को फायदा होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कुछ ऐसे ही संकेत दे चुकी हैं।

पेट्रोल-डीजल के रेट पर ये होगा असर
  • जीएसटी की उच्च दर पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा कीमतें घटकर आधी रह सकती हैं।
  • यदि जीएसटी परिषद ने कम स्लैब का विकल्प चुना, तो कीमतों में कमी आ सकती है।
  • भारत में चार प्राथमिक जीएसटी दर हैं – 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद
  • अगर पेट्रोल को 5 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में रखा जाए तो यह पूरे देश में 37.57 रुपये लीटर हो जाएगा और डीजल का रेट घटकर 38.03 रुपये रह जाएगा।
  • अगर 12 फीसद स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल की कीमत होगी 40 फीसद और डीजल मिलेगा 40.56 रुपये।
  • अगर 18 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में पेट्रोल आया तो कीमत होगी 42.22 रुपये और डीजल होगा 42.73 रुपये।
  • वहीं अगर 28 फीसद वाले स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल 45.79 रुपये रह जाएगा और डीजल होगा 46.36 रुपये।

कहां है दिक्कत राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार नहीं हैं। 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था। उस समय राज्यों की उच्च निर्भरता के कारण पेट्रोल और डीजल को इससे बाहर रखा गया था। जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पादों को शामिल किया जाता है, तो देश भर में ईंधन की एक समान कीमत होगी। बता दें फरवरी में अब तक पेट्रोल की कीमतें 4.63 रुपये प्रति लीटर और डीजल की दरें 4.84 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुकी हैं। इसी तरह 2021 में अब तक पेट्रोल 7.22 रुपये और डीजल 7.45 रुपये महंगा हो चुका है।

इसलिए उठ रही है मांग पेट्रोल की कीमत पहले ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर 100 रुपये से अधिक हो गई है। पेट्रोल-डीजल के महंगे होने के सबसे बड़ा कारण टैक्स ही है।  केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं। अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 फीसद से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं। इन दोनों की दरें इतनी ज्यादा है कि 35 रुपये का पेट्रोल राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है।

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