Samachar Nama
×

शतरंज की यह समस्या, इंसान और मशीन के दरमियान अंतर सुलझायेगी

हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन आज भी इंसानी दिमाग के मुकाबले कंप्यूटर्स कमतर ही साबित होते हैं। इसे शतरंज के खेल द्वारा समझा जा सकता है। शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें सबसे ज्यादा दिमागी क्षमता का इस्तेमाल होता है। कई ऐसी मशीने भी बनाई जा
शतरंज की यह समस्या, इंसान और मशीन के दरमियान अंतर सुलझायेगी

हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन आज भी इंसानी दिमाग के मुकाबले कंप्यूटर्स कमतर ही साबित होते हैं। इसे शतरंज के खेल द्वारा समझा जा सकता है। शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें सबसे ज्यादा दिमागी क्षमता का इस्तेमाल होता है।

कई ऐसी मशीने भी बनाई जा चुकी हैं, जो कृत्रिम शतरंज खिलाड़ी के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं। हालांकि कई बार ऐसे कृत्रिम शतरंज कंप्यूटर प्रोग्राम विश्व के महान शतरंज खिलाड़ियों को भी हरा चुके हैं। लेकिन इंसानी दिमाग को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता है।

हाल ही में पेनरोज़ संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी यूनीक शतरंज की समस्या विकसित की है, जिसे आसान करना मनुष्य के लिये तो आसान था, मगर कृत्रिम प्रोग्राम उसे हल कर पाने में असमर्थ रहे। यह शतरंज की समस्या समय की असीमित राशि पर आधारित थी, जिसे सुलझाने में लगभग सारे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम नाकाम ही रहे।

निश्चित तौर पर यह समस्या मनुष्य के दिमाग व कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच में अंतर पता कर पाने में सक्षम हो पायेगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह समस्या दिमागी चेतना की अवधारणा को समझने में मदद करेगी।

वैज्ञानिकों के अनुसार इससे यह भी पता चल पायेगा कि इंसान का दिमाग क्वांटम लेवल पर कैसे काम करता है। शोधकर्ता इस समस्या को शतरंज की वैधानिक चाल के रूप में पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। इस पहेली को बनाने का मकसद मशीन व दिमाग के दरमियान चेतना को लेकर जो विविधता है, उसका पता लगाना था।

सामान्यतया शतरंज की इस समस्या को एक औसत मनुष्य द्वारा देखने पर यही पता चलता है कि या तो सफेद मोहरे जीतेंगे या फिर बाजी ड्रा हो जायेगी। जबकि कृत्रिम चैस प्लेयर इसे काले मोहरों की जीत के रूप में अपनी स्मृत्ति में दर्ज कर लेता है। शोधकर्ताओं के अनुसार मनुष्य का दिमाग अपनी चेतना का संपूर्ण उपयोग करके ही नतीजों में यह परिवर्तन ला पाता है।

शोधकर्ताओं ने लोगों द्वारा इस समस्या का हल और सुझाव भी मांगा हैं। इससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी, कि मनुष्य का दिमाग वास्तव में इन मशीनों से कैसे अलग है। कंप्यूटर आधारित खिलाड़ी संभावित चाल चलने के बाद अगली चाल के नतीजों से उसका मिलान करता है, लेकिन मनुष्य उस प्रक्रिया में अपना कॉमन सेंस भी प्रयुक्त करता है। इसलिये परिणाम अलग आते हैं।

इस पहेली से सुपर कंप्यूटर्स को और भी शक्तिशाली बनाने में सहायता मिलेगी। मस्तिष्क की चेतना को समझ पाना किसी भी मशीन के लिये अब तक संभव नहीं हो पाया है।

Share this story